रैयती ज़मीन से हो रहा आवागमन, ग्रामीणों के लिए बेकार साबित हो रहा है करोड़ों का निर्माण

बिना समुचित सर्वे के करोड़ों रुपए से बना पुल, जनता के साथ धोखा

कतरास : बाघमारा प्रखंड के जमुआटॉड के खामारगोड़ा में विकास कार्यों की जल्दबाज़ी देखने को मिली है जिससे योजना में कमी से स्थानीय जनता परेशान है, न तो ज़मीन का अधिग्रहण हुआ, न ही सड़क की मंज़ूरी, बस पुल बना दिया गया. इससे ग्रामीणों में भारी नाराज़गी है उनका कहना है कि जब तक रास्ते का अधिग्रहण और निर्माण नहीं होता, तब तक यह पुल किसी काम का नहीं. ग्रामीण रास्ता अब भी रैयती ज़मीन से होकर गुजरता है, जो कभी भी बंद किया जा सकता है. बिना सरकारी भूमि और स्थायी सड़क के पुल बना देने से न केवल ग्रामीणों को लाभ नहीं मिल पा रहा है, बल्कि सरकार की विकास योजनाओं पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।सरकार करोड़ों रुपये इस पुल में खर्च कर चुकी है लेकिन पुल के क्रियान्वयन में भारी लापरवाही सामने आ रही हैइससे यह स्पष्ट दिख रहा है कि जिम्मेदार अधिकारीयों ने बिना मूलभूत आवश्यकताओं को समझे योजना को धरातल पर उतार दिया. अगर इसी तरह सरकारी योजनाएं ज़मीन से जुड़ी ज़रूरतों को नजरअंदाज़ कर बनाई जाएंगी, तो वे न विकास ला पाएंगी और न ही जनता को राहत देंगी. ज़रूरी है कि पहले रास्ता बने, जमीन अधिग्रहीत हो, फिर ऐसे निर्माण हों ताकि करोड़ों रुपये का धन व्यर्थ न जाए।

बुनियादी ढांचे की अनदेखी, विकास के नाम पर दिखावा

यह योजना-निर्माण में गंभीर खामियों और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। बिना समुचित सर्वे के निर्माण कार्य करवाना न केवल संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि जनता के साथ धोखा भी है. यह योजना अधिकारियों ने बिना ज़मीनी हकीकत को ध्यान में रखे बनाई, इस प्रोजेक्ट सिर्फ कागज़ों में ही विकास का भ्रम पैदा करेंगी. अब ऐसे में ज़रूरत है पारदर्शिता और जिम्मेदार अधिकारीयों की जवाबदेही की, ताकि जनता का विश्वास बना रहे।

विवादित बाउंड्री है रैयती जमीन पर – सीआई

विगत दिनों पुल के आगे बाउंड्री वॉल कर देने से सरकारी जमीन पर कब्जा का विवाद तुल पकड़ रहा था, लेकिन इस विवाद में तब पूर्णविराम लग गई जब बाघमारा अंचल अधिकारी के निर्देश पर रविवार को अंचल निरीक्षक विनोद प्रसाद सिन्हा ने उक्त जमीन की मापी एवं जांच की. उन्होंने बताया कि बाउंड्री वाल रैयती प्लॉट पर है जो खमारगोड़ा मौजा की खाता संख्या 28 की 240 नंबर प्लॉट है .

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