गुमनामी में खो गया शहर का एकमात्र संस्कृत विद्यालय, छात्रों की राह तकते क्लासरूम

गौरवशाली विरासत पर संकट : संस्कृत विद्यालय बेहाल

धनबाद : एक तरफ़ देश में डिजिटल इंडिया की बात हो रही है, वहीं दूसरी ओर धनबाद कोर्ट मोड से करीब 500 मीटर दूर शहर का एकमात्र संस्कृत विद्यालय राजकीय संस्कृत उच्च विद्यालय मिस्टीपाड़ा धनबाद आज भी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जूझ रहा है। विद्यालय में न तो शौचालय है और न ही पीने की पानी की कोई व्यवस्था।1960 में स्थापित संस्कृत विद्यालय में मात्र एक क्लासरूम एवं एक कंप्यूटर लेब के सहारे कक्षा नवम् एवं दशम की कक्षा चल रही है।

गुरुवार को 12 बजे एक भी विद्यार्थी क्लास में नहीं मिले। विद्यालय में मात्र एक शिक्षक और 11 विद्यार्थी है। कक्षा 9 में 6 और 10 में 5 विद्यार्थी है। कक्षा 10 के विद्यार्थी इसी वर्ष मैट्रिक की परीक्षा देंगे।इस वर्ष अभी तक एक भी नामांकन नहीं हुआ है।इसीलिए कक्षा 10 में ताला लटका हुआ मिला।

प्रचार प्रसार की कमी के कारण नहीं नामांकन ले रहे विद्यार्थी

स्थानीय लोगों से बातचीत के क्रम में पता चला कि संस्कृत विद्यालय में प्रचार प्रसार का अभाव है इसलिए विद्यालय में विद्यार्थी नहीं आ रहे हैं। अगर शिक्षा विभाग ध्यान देती और प्रचार प्रसार करती तो विद्यालय की स्थिति बेहतर रहती।

ना शौचालय, ना पीने के लिए पानी

विद्यालय के कर्मी लखी नारायण गोराई ने बताया कि पीने के लिए पानी बाल्टी में भर कर लाना पड़ता है। शौचालय के लिए कोर्ट मोड जाना पड़ता है। बुनियादी सुविधाओं नहीं होने के कारण विद्यार्थी भी आना पसंद नहीं करते हैं।

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